लगभग बिक चुके विभाग के मंत्री बनाए गये हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया
पिछले दिनों नरेंद्र मोदी सरकार की कैबिनेट में बड़ा फेरबदल देखने को मिला. कई नेताओं को प्रमोशन मिला तो कई नेताओं को कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखाया गया. 7 जुलाई को 43 नेताओं ने मंत्री के रूप में शपथ ली. इनमे से कुछ को राज्य मंत्री से कैबिनेट मंत्री बनाया गया. कई नेताओं को उनके अच्छे प्रदर्शन का इनाम मिला तो कई नेताओं को क्कुह राज्यों में होने वाले आगामी विधासभा चुनावों को देखते हुए मंत्री पद दिया गया. लेकिन एक व्यक्ति को सरकार गिराने के इनाम के रूप में मंत्री बनाया गया. यह नेता थे ज्योतिरादित्य सिंधिया. जिन्हें मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई.
देर से लेकिन आख़िरकार सिंधिया जी को मंत्री बनाया ही गया
ज्योतिरादित्य सिंधिया को मंत्री पद की शपथ लेते ही चर्चा होने लगी कि आखिरकार सिंधिया जी को उनके कारनामों की फल मिल गया. गौरतलब है कि पिछले वर्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस पार्टी छोड़कर बीजेपी में आ गये थे. जिसके बाद उनके समर्थक विधायक भी बीजेपी में चले गये थे. जिससे कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई थी. जिसके बाद कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और शिवराज सिंह वापस मुख्यमंत्री बन गये. जिसके बाद से कांग्रेस पार्टी ज्योतिरादित्य सिंधिया को गद्दार कहने लगी थी. तभी से चर्चा चलने लगी थी कि इस सत्ता परिवर्तन के सबसे महत्वपूर्ण सिपाही रहे सिंधिया को केंद्र में मंत्री पद से नवाजा जाएगा. हालांकि कोरोना के चलते इसमें कई महीनों की देरी अवश्य हुई. शपथ लेने के बाद आशंका जताई जाने लगी कि सिंधिया को मोदी सरकार में कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलेगी. लेकिन मोदी सरकार के द्वारा उन्हें नागरिक उड्डयन मंत्रालय ही दिया गया. नागरिक उड्डयन मंत्रालय एक ऐसा मंत्रालय. जिसके अंदर अब ज्यादा काम बचा ही नहीं. गौरतलब है कि इस मंत्रालय के अंदर सिविल उड़ानों और एयरपोर्ट का कामकाज आता है.
जल्द ही बिक जाएगी एयर इंडिया
सरकार के पास विमान सेवा को लेकर सिर्फ एयर इंडिया है. जोकि सरकार निजी हाथों में बेंचने को तैयार बैठी है. खबर है कि कुछ प्राइवेट कम्पनियों ने इसमें रूचि भी दिखाई है. सरकार की योजना है कि इसी वित्त वर्ष में एयर इंडिया को निजी हाथों में सौंप दिया जाए.
ज्यादातर एयरपोर्ट का काम अडानी के हाथों में
अब अगर बात करें एयरपोर्ट्स की तो देश के ज्यादातर एयरपोर्ट भी निजी हाथों में जा चुके हैं. अभी पिछले दिनों ट्विटर पर अडानी ग्रुप के मालिक गौतम अडानी के द्वारा ट्विटर पर जानकारी दी गई कि उनकी कंपनी ने मुंबई एयरपोर्ट को भी अपने अधिकार में ले लिया है. अब से गौतम अडानी की कंपनी ही मुंबई के एयरपोर्ट की देखरेख करेगी. जिसके बाद रिपोर्ट आने लगीं कि देश के ज्यादातर एयरपोर्ट अडानी कंपनी के हाथों में पहुंच चूका है. उनकी कंपनी ही आने वाले कई सालों तक इन एयरपोर्ट को संचालित करेगी.
अब सवाल है कि अगर सिविल उड़ानों व एयरपोर्ट का लगभग सारा काम निजी हाथों मचला जाएगा तो मंत्रालय क्या करेगा? तो इसका जवाब है कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय एयर इंडिया की नीलामी के बाद से बिना कोई काम काज वाला मंत्रालय बनकर रह जाएगा. विमानन कम्पनियों के लिए सरकार की तरफ से नियम बनाने के लावा इस मंत्रालय के पास अन्य कोई ही काम शायद ही रह जाएगा. जिसके बाद कहा जाने लगा कि केंद्र ने भले ही ज्योतिरादित्य सिंधिया को कैबिनेट मंत्री बना दिया हो लेकिन उन्हें बिना काम वाले मंत्रालय का काम काज सौंपा गया.