केंद्रीय मंत्री बनते ही ज्योतिरादित्य सिंधिया ने विष्णुदत्त शर्मा को किया नज़रअंदाज़
केंद्र सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री बनने के बाद बीजेपी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा प्रदेश के नेताओं को नजरअंदाज करने की बात सामने आ रही है. इसका उदाहरण खुद मध्यप्रदेश बीजेपी अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा हैं, जिनके पत्र को सिंधिया ने नजरअंदाज कर दिया. दरअसल, वीडी शर्मा ने सिंधिया से खजुराहो के लिए फ्लाइट शुरू करने का निवेदन किया था, लेकिन सिंधिया की झोली से फ्लाइट का सौगात ग्वालियर को मिला.
विष्णुदत्त शर्मा ने बीते शनिवार सिंधिया को संबोधित पत्र में लिखा है कि, ‘मेरा संसदीय क्षेत्र खजुराहो UNESCO की World Heritage Site में भी है. दुनिया भर के कई देशों के लोग खजुराहो की कला एवं संस्कृति एवं विश्व प्रसिद्ध मंदिरों को देखने आते है, खजुराहो के आस-पास पन्ना टाइगर रिज़र्व से लेकर और भी कई पर्यटन स्थल है जिन्हे लोग देखना चाहते हैं. खजुराहो में विश्व स्तरीय एअरपोर्ट भी है लेकिन फ्लाइट की सुविधा प्रतिदिन और डायरेक्ट नहीं होने के कारण देश और विदेशों से आने वाले यात्रियों को कनेक्टिंग फ्लाइट से आना पड़ता है जिस कारण यात्रा का खर्च अधिक हो जाता है.’
शर्मा ने आगे लिखा कि, ‘खजुराहो को दिल्ली, खजुराहो मुंबई व खजुराहो वाराणसी डायरेक्ट फ्लाइट से जोड़ने की कृपा करें. खजुराहो एअरपोर्ट को RCS से जोड़े जाने से यहाँ के स्थनीय निवासियों व पर्यटक कम खर्च में भी यात्रा का लाभ उठा सकेंगे इससे पर्यटन एवं राजस्व को भी बढ़ावा मिलेगा. अतः आपसे निवेदन है कि खजुराहो एअरपोर्ट को रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम जोड़ने की कृपा करें.’
वीडी शर्मा के पत्र लिखने के बाद भी सिंधिया ने नहीं किया फ्लाइट का एलान
वीडी शर्मा के पत्र लिखने के दूसरे दिन यानी रविवार को ही सिंधिया ने मध्यप्रदेश के लिए 8 नए फ़्लाइट का ऐलान किया. हालांकि, इसमें खजुराहो के लिए कोई फ्लाइट नहीं थी. बल्कि सिंधिया की झोली से अधिकांश फ्लाइट उनके गृह क्षेत्र ग्वालियर को मिली. सिंधिया ने ट्वीट कर बताया है कि ये फ्लाइट्स ग्वालियर से मुंबई और पुणे, जबलपुर से सूरत और अहमदाबाद से ग्वालियर के लिए उड़ान भरेंगी. ऐसे में अब ग्वालियर-चंबल अंचल की मुंबई, पुणे और अहमदाबाद से डायरेक्ट एयर कनेक्टिविटी हो जाएगी. साथ ही जबलपुर की सूरत से डायरेक्ट कनेक्टिविटी होगी. ये सभी फ्लाइट्स स्पाइस जेट द्वारा संचालित की जाएंगी. ऐसे में अब माना जा रहा है कि मंत्री बनते ही सिंधिया प्रदेश के नेताओं को नजरअंदाज करने लगे हैं.