किसानों पर पड़ रही है मौसम और सरकारी अव्यवस्था की दोहरी मार
भोपाल: मध्य में किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. एक तो सरकार बदलने की वजह से पिछली फ़सल की खरीद ठीक से नहीं हो पाई तो अब कम बारिश की वजह से फ़सल सूख रही है. इसके साथ साथ कोरोना ने तांडव मचा ही रखा है. प्रदेश के 13 जिलों में संकट के बादल मंडरा रहे हैं. जहां हर साल जुलाई और अगस्त के महीने में सबसे अधिक बारिश होती है. वहीं इस बार जुलाई बीतने को है लेकिन सामान्य से भी कम बारिश हुई है. जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है. किसानों की खरीफ की फसल बरबाद होने की कगार पर हैं. जिसने किसानों की चिंता बढ़ा दी है.
आपको बता दें कि प्रदेश के 13 जिलों बालाघाट, छतरपुर, दमोह, जबलपुर, कटनी, सागर, टीकमगढ़, अलीराजपुर, भिंड, ग्वालियर, मंदसौर, श्योपुर, शिवपुरी में सामान्य से कम बारिश होने के कारण विकट संकट बना हुआ है.
मौसम विभाग के अनुसार बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में कोई प्रभावी सिस्टम नहीं होने के कारण वर्तमान में अच्छी बरसात की उम्मीद कम बनी हुई है.
मौसम विभाग ने 24 जुलाई के आसपास बंगाल की खाड़ी में एक ऊपरी हवा का चक्रवात बनने की संभावना जताई है. यदि चक्रवात कम दबाव के क्षेत्र में सक्रिय होकर आगे बढ़ता है तो प्रदेश में अच्छी बारिश होने की उम्मीद है