सिंधिया अगर सच्चे जनसेवक हैं तो आरोपों का भी जवाब दें : के. के. मिश्रा
ग्वालियर/भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रभारी (ग्वालियर-चम्बल संभाग) के.के.मिश्रा ने कांग्रेस से भाजपा में गए ज्योतिरादित्य सिंधिया पर जोरदार हमला करते हुए सच्चे जनसेवक के क्या दायित्व की याद दिलाई है।
सिंधिया के 90 दिनों की चुप्पी के बाद अब सबसे जवाब मांगने को के. के. मिश्रा ने मात्र राजनैतिक गीदड़ भभकी और पॉलिटिकल ब्लैकमेलिंग करते हुए तंज कसा है। उन्होंने यहां तक कह डाला है कि वे वास्तव में ईमानदार जनसेवक हैं, तो प्रदेश की उच्च मान्य राजनैतिक परम्पराओं,स्वच्छ-स्वस्थ्य मूल्यों,आदर्शो व सार्वजनिक जीवन की शुद्धता के लिए उन्हें भी कांग्रेस द्वारा पूछे गए उनके सार्वजनिक जीवन से जुड़े प्रामाणिक सवालों का भी जवाब देना होगा?
ग्वालियर में सिंधिया पर तीखा राजनैतिक हमला बोलते हुए मिश्रा ने कहा कि वे अपने बनावटी चेहरे,लच्छेदार भाषणों और दोहरे चरित्र को अब छुपा नहीं पाएंगे क्योंकि, राजनीति उनके व उनके परिवार के लिए “धर्म” नहीं,करोड़ों-अरबों के जमीनों के खेल को अंजाम देकर अपनी “आर्थिक समृद्धि की प्यास बुझाने का माध्यम बन चुकी है। जिसके दस्तावेजी सबूत भी मौजूद हैं, जो आने वाले समय में कांग्रेस उजागर करेगी।
मिश्रा ने पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार के 15 माह के कार्यकाल व वल्लभ भवन को भ्रष्टाचार-दलालों का अड्डा बताने पर सिंधिया से पूछा है कि गद्दारों, बिकाऊ के साथ आपके द्वारा रचे गए षड्यंत्र के बाद जबरिया क़ाबिज़ शिवराज सरकार में क्या वहां रामायण पाठ हो रहा है? क्या वल्लभ भवन अब शंकराचार्य जी का आश्रम बना हुआ है?
मिश्रा ने श्री सिंधिया पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि जब श्री कमलनाथ प्रदेश की तस्वीर बदलने के लिए 18-18 घंटों काम कर रहे थे, तब आप अपने अवैध कामों को अंजाम देने के लिए उन पर बेजा दबाव बना,सरकार को बदनाम करते हुए राजनैतिक ब्लैकमेलिंग कर रहे थे?
मिश्रा ने कहा कि यदि यह झूठ है तो इन दस बिंद़ुओं से संबंधित मेरे प्रश्नों का जवाब दीजिये —
(1)आपने अपने किस पारिवारिक विश्वस्त पूर्व आईएएस अधिकारी को कमलनाथ जी से चर्चा के उपरांत दबाव बना कर उन्हें वल्लभ भवन भेजा व कुछ ही घण्टों में अपने पसंदीदा अधिकारियों को ग्वालियर में पदस्थ करने के लिए तबादला आदेश जारी करवाये थे?
(2)क्या यह भी झूठ है कि इन अधिकारियों से साठगांठ कर सरकारी दस्तावेजों में छेड़छाड़,कूटरचित दस्तावेज बनवाकर आपने सरकारी खातों में दर्ज करोड़ों -अरबों की कीमत वाली बेशकीमती सरकारी भूमि अपने प्रभुत्व वाले ट्रस्टों के नाम दर्ज नहीं करवाई?
(3)आपका यह भी कहना कि कमलनाथ सरकार भ्रष्टाचार में डूबी हुई थी, इस सरकार में आपको समर्पित कितने गद्दार-बिकाऊ मंत्री थे,जिन्हें किन-किन मलाईदार विभागों में आपने दबाव बनाकर उन्हें बैठाया था, यदि सरकार भ्रष्ट थी तो उसमें शामिल यह मंत्रीगण “क्या पवित्र गंगा के सपूत थे?”
(4)मलाईदार विभागों का दायित्व दिलाने को लेकर ऐसा ही चरित्र आपने अभी शिवराज सरकार में भी दिखाया है!अपने चापलूसों को मंत्री बनवाना,उन्हें मुख्यमंत्री पर दबाव बनाकर मलाईदार पद दिलवाना क्या आपका राजनैतिक धंधा है या इसके नेपथ्य में कुछ और?
(5) क्या यह भी झूठ है कि कमलनाथ सरकार के दौरान आपके समर्थक मंत्रियों के खिलाफ आपके ही तलवे चाटने वाले तत्कालीन विधायकों (जिन्होंने सौदेबाजी के बाद आपके द्वारा उन्हें बंधक बनाने के बाद इस्तीफा दिया है) ने पैसों के लेनदेन के बाद ही काम होने के आरोप सार्वजनिक रूप से लगाये थे,जिन्हें आपने ही चुप करा कर अपने बयान से इंकार करने का दबाव डाला था,ऐसा क्यों?
(6) हर सरकार में राजस्व व परिवहन विभाग विभाग आपके समर्थकों के पास ही रहे,इसके पीछे आपकी मंशा क्या रहती है?
(7) कमलनाथ सरकार में आपके चहेते परिवहन मंत्री के विवादास्पद पीए कमल नागर कौन थे और आज भी परिवहन विभाग (ग्वालियर) मुख्यालय में पदस्थ सत्यप्रकाश शर्मा कौन हैं। ये किसके लिये काम कर रहे हैं, इन्हें किसका, किसलिए और क्यों संरक्षण प्राप्त है?
(8)आप कथित तौर पर हमेशा यह प्रचारित करते है कि आप प्रगति-विकास के पक्षधर हैं, तो आपने ग्वालियर की प्रगति-विकास को नए आयाम देने वाले रोप-वे का स्वीकृत निर्माण क्यों रुकवा दिया है,शायद उससे सिंधिया स्कूल प्रभावित न हो,यह दोहरा चरित्र क्यों?
(9) आपकी दादी स्व.राजमाता सिंधिया जी द्वारा भाजपा के संस्थापकों में एक स्व.जगदीश गुप्ता जी को विधिवत दान में दी गई भूमि पर निर्मित दुकानों को हाल ही में आपके द्वारा राज्यसभा सदस्य निर्वाचित होते ही जिला प्रशासन से जमींदोज करवा दिया गया,ऐसा ही कुछेक धर्मस्थलों को भी आपने निशाना बनाया है!यह आपका भूमि प्रेम,धर्म है या जनसेवा?
(10) ग्वालियर में स्थानीय स्तर पर आपके प्रभुत्व वाले विवाह-समारोह परिसर कितने हैं,कितने वर्गफुट पर हैं,भूमि मिल्कियत किसकी है,उसमें सरकारी भूमि पर किसका व कितना कब्ज़ा है?
मिश्रा ने कहा कि महाराज, आप 90 दिनों तक खामोश क्यों रहे, कोरोना से डर था या अपने चहेतों को मलाईदार मंत्रालयों पर क़ाबिज़ करवाने का इंतज़ार? 90 दिनों बाद आपके चुप नहीं बैठने और सबसे जबाव मांगने की गीदड़ भभकी के बाद कांग्रेस द्वारा भी आपसे जबाव मांगने की यह पहली किश्त है, उम्मीद है यदि आप सच्चे जनसेवक हैं, तो जबाव जरूर देंगे अन्यथा यह बात स्मरण रखियेगा कि “जिनके घर खुद शीशे के हों,वे दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंकते”।