कोरोना पीड़ितों के परिजन न हों खाने के लिए परेशान, जिसके लिए युवाओं ने बना लिए खिचड़ी ग्रुप
भोपाल में बेकाबू होते कोरोना संक्रमण के बीच कर्फ्यू लगा हुआ है. मरीजों और उनके परिजनों की हालत खराब होती जा रही है. बेड और ऑक्सीजन की किल्लत तो है ही, लेकिन कई लोगों को ठीक से खाना तक नहीं मिल पा रहा. इसी बात को ध्यान में रखते हुए कुछ युवाओं ने ‘खिचड़ी ग्रुप’ की शुरुआत की है. इस खिचड़ी को मल्टी ग्रेन (कई तरह के पौष्टिक अनाज) मिलाकर तैयार किया जाता है.
न्यू भोपाल में रहने वाले राकेश सोनवने सामाजिक कार्यकर्ता हैं. इन्होंने जब देखा कि मरीजों और परिजनों के भोजन का कोई ठिकाना नहीं, तो इन्होंने छोटे-छोटे खाने के छोटे-छोटे पैकेट्स बनाना और बांटना शुरू किए. उनके इस प्रयास को देखते हुए उनके दोस्त और कई लोग भी साथ देने आगे आए. एक टीम बनने के बाद इन्होंने मल्टीग्रेन खिचड़ी बांटने का बड़ा फैसला लिया. एक जगह रसोई तैयार की गई और शुरू कर दिया गया काम.
कई तरह के अनाजों से तैयार होती है पौष्टिक खिचड़ी*
इस पौष्टिक खिचड़ी में तमाम दालें, अनाज, पनीर, सोयाबड़ी, घी और अलग-अलग सब्जियां डाली जाती हैं. लोगों तक पहुंचने के लिए इस खिचड़ी ग्रुप ने सोशल मीडिया का सहारा भी लिया. उस पर भी डिमांड आती है तो टीम उस जगह जाकर खिचड़ी के पैकेट्स सप्लाई करती है. इस मल्टी ग्रेन खिचड़ी को बनाने का मकसद लोगों को तंदुरुस्त और शारीरिक तौर पर मजबूत करना है.
राकेश सोनवने ने बताया कि इस खिचड़ी ग्रुप को अब जिला औऱ पुलिस प्रशासन की भी मदद मिलने लगी है. यह ग्रुप प्रशासनिक अधिकारियों की मदद से अब खिचड़ी मरीज और उनके परिजनों को पहुंचा रहे हैं. प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी की वजह से सोशल डिस्टेंस और गाइडलाइन का पालन आसानी से होता है. अस्पताल के आसपास रहने वाले मरीजों के परिजनों को यह खिचड़ी दी जाती है. परिजन और अस्पताल प्रबंधन की मदद से इस खिचड़ी को भर्ती मरीजों तक पहुंचाया जाता है. संक्रमित मरीजों के लिए पौष्टिक आहार के रूप में यह खिचड़ी कारगर साबित हो रही है.
आपसी सहयोग से बना खिचड़ी ग्रुप
राकेश सोनवने ने बताया कि उनका यह खिचड़ी ग्रुप दोस्तों और सामाजिक बंधुओं की आपसी सहयोग से बना है. अब रोजाना 200 से ज्यादा लोगों को खिचड़ी दी जाती है. हर रोज सुबह इस खिचड़ी को तैयार किया जाता है और सुबह के वक्त इसे बांट भी दिया जाता है. उन्होंने कहा कि आपसी सहयोग से खिचड़ी बनाने के लिए धनराशि भी आसानी से उपलब्ध हो जा रही है.