‘द वीकेंड ऑस्ट्रेलियन’ का दावा, चीन 6 साल से बना रहा था कोरोना वायरस
कोरोना वायरस ने पिछले साल से पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है. करोड़ों लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं तो लाखों की मौत हो चुकी है. इसका पहला मामला साल 2019 में चीन के वुहान शहर में आया था. लेकिन अब एक एक ऑस्ट्रेलियाई मीडिया की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2020 में अचानक नहीं आया, बल्कि इसकी तैयारी चीन 2015 से कर रहा था. चीन की सेना 6 साल पहले से कोविड-19 वायरस को जैविक हथियार की तरह इस्तेमाल करने की साजिश रच रही थी.
‘द वीकेंड ऑस्ट्रेलियन’ ने अपनी रिपोर्ट में ये खुलासा किया है. रिपोर्ट में चीन के एक रिसर्च पेपर को आधार बनाया गया है. इसमें कहा गया है कि चीन 6 साल पहले से सार्स वायरस की मदद से जैविक हथियार बनाने की कोशिश कर रहा था.
रिपोर्ट के मुताबिक चीनी वैज्ञानिक और हेल्थ ऑफिसर्स 2015 में ही कोरोना के अलग-अलग स्ट्रेन पर चर्चा कर रहे थे. उस समय चीनी वैज्ञानिकों ने कहा था कि तीसरे विश्वयुद्ध में इसे जैविक हथियार की तरह उपयोग किया जाएगा. इस बात पर भी चर्चा हुई थी कि इसमें हेरफेर करके इसे महामारी के तौर पर कैसे बदला जा सकता है.
हर बार जांच से पीछे हट जाता है चीन
रिपोर्ट में इस बात पर भी सवाल उठाया गया है कि जब भी वायरस की जांच करने की बात आती है तो चीन पीछे हट जाता है. ऑस्ट्रेलियाई साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट रॉबर्ट पॉटर ने बताया कि ये वायरस किसी चमगादड़ के मार्केट से नहीं फैल सकता. वह थ्योरी पूरी तरह से गलत है. चीनी रिसर्च पेपर पर गहरी स्टडी करने के बाद रॉबर्ट ने कहा- वह रिसर्च पेपर बिल्कुल सही है. हम चीन के रिसर्च पेपर पर अध्ययन करते रहते हैं. इससे पता चलता है कि चीनी वैज्ञानिक क्या सोच रहे हैं.
इस दावे में इसलिए है दम
कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि ऑस्ट्रेलियाई मीडिया की इस रिपोर्ट को खारिज नहीं किया जा सकता. पिछले साल अमेरिका के तब के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कई बार सार्वजनिक तौर पर कोरोना को ‘चीनी वायरस’ कहा था. उन्होंने कहा था- यह चीन की लैब में तैयार किया गया और इसकी वजह से दुनिया का हेल्थ सेक्टर तबाह हो रहा है, कई देशों की इकोनॉमी इसे संभाल नहीं पाएंगी. ट्रम्प ने तो यहां तक कहा था कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के पास इसके सबूत हैं और वक्त आने पर ये दुनिया के सामने रखे जाएंगे.
हालांकि ट्रम्प चुनाव हार गए और बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन ने अब तक इस बारे में सार्वजनिक तौर पर कुछ नहीं कहा. हालांकि, ब्लूमबर्ग ने पिछले दिनों एक रिपोर्ट में इस तरफ इशारा किया था कि अमेरिका इस मामले में बहुत तेजी और गंभीरता से जांच कर रहा है.