मानवता शर्मसार : 50 किलोमीटर तक अपनी बेटी के शव को लेकर चारपाई पर लेकर आया, नहीं मिली एम्बुलेंस
विज्ञान में इंसान को जानवरों से बेहतर बताया गया है. लेकिन हर रोज तमाम ऐसी घटनाएं घटित हो जाती हैं कि लगता है कि इंसान बेहतर नहीं है. कई बार इंसानों के अंदर इंसानियत देखने को ही नहीं मिलती. ऐसा ही एक मामला सिंगरौली में सामने आया. जो मानवता और इंसानियत को शर्मसार कर रहा है. जहां एक पिता शव वाहन न मिलने पर अपनी बेटी का शव खाट पर रखकर बल्ली के सहारे पहले 25 किलोमीटर दूर अस्पताल ले आया. पोस्टमॉर्टम के बाद उसे दोबारा उसी तरह से शव वापस घर ले आकर अंतिम संस्कार किया. न तो पुलिस ने शव वाहन की व्यवस्था कराई और न ही किसी सामाजिक संगठन ने.
लोग भी वीडियो बनाते रहे, लेकिन किसी में संवेदना नहीं जागी. बेबस पिता का कहना था कि करें तो क्या करें. पुलिस ने सहयोग नहीं किया और शव वाहन बुलाने पर भी नहीं आया तो उसे ये कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा.
सिंगरौली जिले के आदिवासी अंचल सरई क्षेत्र के गड़ई गांव निवासी धिरूपति की 16 वर्षीय नाबालिग बेटी ने 5 मई की रात को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. इस मामले में 6 मई को सरई थाना सहित निवास चौकी को दी गई. ऐसे में निवास चौकी पुलिस ने विवेचना के बाद पोस्टमार्टम कराने के लिए निवास अस्पताल चलने को कहा.
आनन-फानन में यहां वहां एंबुलेंस की तलाश की गई. पिता स्थानीय अमले से लेकर पुलिस से शव वाहन की मांग की, लेकिन कोरोना के चलते कोई एंबुलेंस खाली नहीं मिली. हार कर बेटी का पिता खाट को उल्टा कर चारों पावों में रस्सी बांधकर एक बल्ली के सहारे 25 किलोमीटर दूर निवास अस्पताल चल दिया. एक छोर परिवार का दूसरा सदस्य पकड़े था. फिर पोस्टमार्टम के बाद पुन: शव वाहन न मिलने के बाद दोबारा 25 किलोमीटर गांव आकर अंतिम संस्कार किया गया.