प्रदेश में शहरों से ज्यादा बुरी हालात गाँवो की, 60 हजार व्यक्तियों पर है सिर्फ एक डॉक्टर
देश में जब से कोरोना आया है, तब से देश भर की स्वास्थ्य व्यवस्था अपाहिज हो चुकी है. अस्पतालों, दवाईयां, ऑक्सीजन व अन्य मेडिकल जरुरत की जबरदस्त मारामारी है. मध्य प्रदेश में भी स्वास्थ्य सेवाओं पर सरकार ने कोई काम नहीं किया है. ये बात हम नहीं सरकारी आंकड़े बता रहे हैं. एक सरकार रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में 60 हजार मरीजों के बीच एक चिकित्सक है. वहीं ग्रामीण अंचलों में स्वास्थ्य सेवा बिल्कुल ठप पड़ी है.
कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहे मध्य प्रदेश के ग्रमीण इलाकों को देखने में ऐसा लगता है कि वहां कि स्वास्थ्य सेवा भगवान भरोसे चल रही है.
ऐसा इसलिए क्योंकि जमीनी हकीकत दावों से बिल्कुल अलग है. जबलपुर की बात करें तो जिले के चरगवां तहसील में 60 हजार ग्रामीणों के बीच सिर्फ एक डॉक्टर दिन रात ड्यूटी दे रहा है. जिले में कोरोना संक्रमण शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक विकराल रूप ले चुका है. जिले का ऐसा गांव या मोहल्ला नहीं बचा है, जहां कोरोना संक्रमित ना हों.
वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकार के निर्देश के बाबजूद कोरोना संक्रमित लोगों के मिलने के बाद भी कंटेनमेंट जोन बनाने में लापरवाही बरती जा रही है. जिसके कारण छोटे-छोटे कस्बों में लोग बीमार पढ़ रहे हैं. इसके चलते मरीज स्वास्थ्य केंद्र का चक्कर काट रहे हैं और जब स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों को डॉक्टर नहीं मिलते तो लोग झोलाझाप डॉक्टरों से इलाज कराने को मजबूर होकर अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं.
कुछ ऐसा ही हाल चरगवां प्राथमिक केंद्र के अंतर्गत 30 ग्राम पंचायतों का है, जिसमें 96 गांव आते हैं. इन गावों की जनसंख्या 60 हजार के करीब है. इसके बावजूद भी यहां पर एक ही डॉक्टर नियुक्त है. लेकिन उनकी भी ड्यूटी शहपुरा मुख्यालय पर लगाई जा रही है. जिसके कारण मरीजों को इलाज के अभाव में भटकना पड़ता है.