दो बेटों ने कोरोना से मृत पिता को हाथ तक नहीं लगाया, पुलिस ने अंतिम संस्कार कराया
कोरोना के मुश्किल हालात में पुलिस विभाग का मानवीय चेहर कई बार सामने आया है. पुलिस विभाग किसी न किसी तरह से लोगों की मदद में जुटी हुई है. इस बार भोपाल में पुलिस का मानवीय चेहरा सामने आया है. जब दो बेटों ने कोरोना पॉजिटिव पिता के शव को हाथ नहीं लगाया तब पुलिस आगे बढ़ी.
पुलिस ने हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार किया. पुलिस के साथ मौजूद पत्नी ने अपने पति को मुखाग्नि दी. पत्नी भावुक हो गयी उन्होंने पुलिस को धन्यवाद दिया और कहा इस कठिन समय में आप मेरे लिए भगवान हैं.
यह मामला ऐशबाग इलाके की जगन्नाथ कॉलोनी का है. इस कॉलोनी में 63 साल के रिटायर्ड रेलवे कर्मचारी सतीश वर्मा अपने परिवार के साथ रहते थे. वो कोरोना से संक्रमित थे. सतीश वर्मा ने घर में अंतिम सांस ली. उनके दो बेटों और बहुओं नाती-पोतों का भरा पूरा परिवार है. पति की मौत के बाद बेबस बुज़ुर्ग पत्नी प्रेम लता ने अपने दोनों बेटों से अंतिम संस्कार के लिए मदद मांगी. लेकिन बेटों को तो डर था कि पिता को कंधा देने से कहीं उन्हें कोरोना न हो जाए. इसलिए दोनों बेटों ने टका सा जवाब दे दिया कि वो अंतिम संस्कार नहीं करेंगे.
जब बेटों ने मदद नहीं की तो पत्नी ने कॉलोनी के आसपास के लोगों से मदद मांगी. लेकिन उस कॉलोनी में लोग तो बसते हैं लेकिन इंसानियत नहीं. इसलिए सतीष वर्मा के अंतिम संस्कार के लिए किसी ने मदद नहीं की. हारकर प्रेमलता ने ऐशबाग थाना पुलिस को इसकी सूचना दी.
पुलिस ने पेश की मिसाल
प्रेमलता की सूचना पर पुलिस स्टाफ फौरन उनके घर पहुंच गया. सब इंस्पेक्टर नीलेश अवस्थी और आरक्षक गजराज ने इस कठिन समय में मानवता का परिचय दिया. पूरे मोहल्ले वालों के सामने उन्होंने इंसानियत की एक मिसाल पेश की. दोनों पुलिसकर्मियों ने तत्काल शव वाहन को बुलाया और शव को कोरोना प्रोटोकॉल के तहत पीपीई किट पहनकर सुभाष विश्राम घाट ले गए. साथ में उनकी पत्नी प्रेमलता भी मौजूद थीं. हिंदू रीति रिवाज के साथ अंतिम संस्कार की विधि विधान से पूरी प्रक्रिया की गयी उसके बाद पत्नी प्रेमलचा ने पति को मुखाग्नि दी.