ऑक्सीजन की कमी से शहडोल मेडिकल कॉलेज में 12 मरीजों ने दम तोड़ा
शहडोल के मेडिकल कॉलेज में 12 मरीजों ने ऑक्सीजन की कमी से दम तोड़ दिया. शनिवार रात से ही ऑक्सीजन का प्रेशर कम होने लगा था. ये सभी मरीज वेंटिलेटर पर थे. रात 12 बजे तक स्थिति गंभीर होती चली गई. स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया. ऑक्सीजन का प्रेशर कम हुआ तो कई मरीजों को ऑक्सीजन मास्क हाथ से दबाना पड़ा, उन्हें लग रहा था कि शायद सही तरह से दबाने से ऑक्सीजन आ जाए. लेकिन 12 लोगों का दम घुट गया. 24 घंटे में कुल 22 मरीजों की मौत यहां हो चुकी है. मेडिकल डीन का बयान कुछ और कहानी कह रहा है, जबकि अपर कलेक्टर कुछ कह रहे हैं. विपक्ष ने भी सरकार को घेरने में देरी नहीं की.
प्रदेश में यह कोई पहला मामला नहीं है. तीन दिन पहले ऐसा ही एक हादसा जबलपुर में हुआ था. जहां 5 लोग ने ऑक्सीजन की कमी के कारण घुट-घुटकर मर गए थे. तब प्रदेश सरकार के एक मंत्री का गैरजिम्मेदाराना बयान आया था. वे सभी वेंटिलेटर पर थे.
परिजन क्या बोले?
मरीजों के परिजन ने स्वास्थ्य महकमे पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि रात तक सब ठीक थी. हम लोग मरीजों को खाना खिलाकर बाहर चले गए थे. अचानक सुबह बताया जाता है कि उनके मरीजों की मौत हो गई. कॉलेज प्रशासन झूठ बोल रहा है. लापरवाही छुपा रहा है.
पहले भी हो चुकी हैं कई मरीजों की मौत
इस मेडिकल कॉलेज में इससे पहले भी कोरोना के 10 और मरीजों की मौत हो चुकी है. तब कमिश्नर राजीव शर्मा के दौरे पर आए थे. वे शनिवार को ही कोविड-19 सेंटर का निरीक्षण करने पहुंचे थे. हालांकि उन्होंने साफ-सफाई और बाकी व्यवस्थाओं को चाक-चौबंद करने की बात कही थी. निरीक्षण के दौरान उनके साथ मेडिकल के डीन के अलावा कलेक्टर डॉ. सतेन्द्र सिंह, अपर कलेक्टर अर्पित वर्मा समेत कई अधिकारी और चिकित्सक मौजूद थे. लेकिन उस वक्त किसी ने उन्हें ऑक्सीजन लिक्विड की कमी के बारे में नहीं बताया था शायद. वह भी औचक निरीक्षण के नाम पर खानापूर्ति कर चले गए थे. शहडोल मेडिकल कॉलेज में अब तक कुल 22 मरीजों की जान जा चुकी है. शनिवार को 10 कोरोना पेशंट की मौत हुई थी.