उपचुनाव में हार के बाद डबरा से गायब सी हो गई हैं इमरती देवी
मध्य प्रदेश के 28 सीटों पर उपचुनाव हुए लगभग 5 महीने बीत गए. इस दौरान ग्वालियर-चंबल संभाग की 16 सीटों पर चुनाव हुए थे. इनमें सबसे चर्चित डबरा विधानसभा की सीट रही थी. इस सीट पर कांग्रेस से सुरेश राजे प्रत्याशी थे तो वहीं बीजेपी से इमरती देवी. चुनावों में कांग्रेस के सुरेश राजे ने विजयी हासिल की थी. डबरा का चुनावी परिणाम दोनों पार्टियों के लिए अचंभे भरा हुआ था.
डबरा युचुनव में विजयी के बाद जहाँ सुरेश राजे अपने आप को स्थापित करने में जुट गये. वहीं हार के बाद इमरती देवी लगभग लाइम लाइट से दूर हो गयीं. खासकर राजधानी भोपाल में तो उन्हें कभी-कभार ही देखा जाता है. इस चुनावी हार ने उन्हें इतना तोड़ दिया कि वे अपने निर्वाचन डबरा में ही बहुत कम ही दिखती हैं. हालांकि प्रदेश भाजपा का कोई बड़ा नेता या मंत्री जब डबरा पहुंचता है तो वो जरूर दिखती हैं.
उपचुनाव में विजयी होने के बाद भी डबरा में हार गए सिंधिया
यह उपचुनाव इमरती देवी व उनके राजनैतिक गुरु ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए बहुत महत्वपूर्ण था. इस सीट को जीतने के लिए इमरती देवी जितनी ताकत लगा रही थी, उतना ही उनके राजनीतिक गुरू ज्योतिरादित्य सिंधिया भी लगा रहे थे. यही कारण है कि इस उपचुनाव में सिंधिया ने जितना प्रचार इमरती देवी के लिए किया, उताना शायद अपने दूसरे प्रत्याशियों के लिए नहीं कर पाए, इसके बावजूद इमरती देवी चुनाव हार गईं और सिंधिया उपचुनाव जीतकर भी अपने घर में ही हार गए.
मंत्री पद से भी देना पड़ा था इस्तीफा
इस हार के बाद मानों इमरती देवी गुम सी हो गईं. उन्हें शिवराज कैबिनेट में महिला एवं बाल विकास मंत्री पद से भी इस्तीफा देना पड़ा. हालांकि हार के बाद शुरूआत में उन्हें डबरा में जरूर देखा गया. लेकिन जैसे-जैसे दिन बीत रहे हैं, वैसे-वैसे इमरती लाइम लाइट से दूर जा रही हैं. पिछली बार उन्हें सार्वजनिक तौर पर 20 मार्च को भारतीय जनता पार्टी में 1 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित हुए सम्मान समारोह में देखा गया था.
घर पर ही रहती हैं इमरती
बताया जा रहा है कि उपचुनाव में हार के बाद इमरती देवी बुरी तरह टूट गयीं. यहाँ वह अपनी जीत पक्की मानकर चल रही थीं. लेकिन परिणामों ने सब कुछ बदल दिया. चुनावों से पहले जहाँ इमरती देवी हर जगह नजर आती थीं, अब वो ज्यादातर अपने घर पर ही रहती हैं. जहाँ पहले वो डबरा के प्रत्येक कार्यक्रम में शिरकत करती थीं, अब वो कुछ चुनिंदा कार्यक्रमों में दिखती हैं.
(यह लेखक के अपने निजी विचार हैं.)