तीन माह से सैलरी के बिना मरीजों को बचा रहे कोरोना वॉरियर्स
भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा तीन माह से चिकित्सक और चिकित्सा कर्मियों को वेतन नहीं मिलने से दोहरे संकट से गुजरना पड़ रहा है। कोरोना महामारी के संकटकाल में कोरोना वारियर्स के रूप में अस्पतालों में सेवाएं दे रहे डॉक्टर और मेडिकल कर्मियों को मध्य प्रदेश में सैलरी नहीं मिल पा रही है। परेशान मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन और मेडिकल स्टॉफ ने वेतन को लेकर सीएम शिवराज सिंह चौहान से गुहार लगाई है। ढाई महीने से बगैर वेतन के कोरोना संकट में मेडिकल स्टाफ काम कर रहे हैं। टीचर्स एसोसिएशन का कहना है की कोरोना योद्धा बनाकर शासन उनका केवल उपहास कर रहा है.
सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद भी नहीं मिल रही सैलरी
डॉक्टरों की सैलरी ना मिलने के मामले में मीडिया रिपोर्ट्स पर सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने सभी राज्यों के मुख्य सचिव को ये आदेश दिए हैं कि डॉक्टर्स और कोविड-19 में ड्यूटी कर रहे स्टाफ को समय पर बिना काटे वेतन दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट की इस फटकार के बाद प्रदेश के स्वास्थ्य महकमे ने कोरोना में ड्यूटी कर रहे डॉक्टर्स और स्टाफ को समय पर वेतन देने के आदेश जारी किए हैं. बावजूद इसके प्रदेश भर के अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में ड्यूटी कर रहे डॉक्टर्स, मेडिकल टीचर्स और स्टाफ को बीते तीन महीनों से समय पर सैलरी नहीं मिल पा रही है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना डॉ. राकेश मालवीय ने बताया कि आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत सुप्रीम कोर्ट का राज्य सरकारों को स्पष्ट निर्देश है कि कोविड-19 महामारी में लगे समस्त स्वास्थ्यकर्मियों को वेतन समय पर दिया जाए. बावजूद इसके मध्य प्रदेश सरकार और चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारी इस मामले में लापरवाही बरत रहे हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोरोना के शुरुआती दिनों में एक घोषणा की थी कि इस महामारी से लोगों को बचाने का दायित्व स्वास्थ्यकर्मियों पर है. इसलिए कोरोना काल में हर महीने प्रत्येक स्वास्थ्यकर्मी को दस हजार रुपए बतौर प्रोत्साहन राशि राज्य सरकार की ओर से दी जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.