आइये करातें हैं आपको ग्वालियर की सैर, घूमे इन जगहों पर
ग्वालियर: पर्यटन के क्षेत्र से ग्वालियर घूमने और समय बिताने के लिये एक से बढ़कर एक जगह है. आईये गुफ्तगू कराते हैं आपको ग्वालियर की ऐसे ही कुछ जगह से.
1- ग्वालियर का किला
ग्वालियर का किला पूरे दक्षिण भारत का एक अभेद किला है. इस किले का निर्माण दो भागो में किया गया था. जोकि दो अलग अलग समय अवधि के दौरान हुआ था. ग्वालियर किले की सुन्दरता और विशालता का वर्णन शब्दों में करना कठिन हैं. इस किले में मन मंदिर, गुजरी महल, पानी के टैंक, कर्ण, जहागीर आदि है. ग्वालियर आने वाले पर्यटकों को एक बार इस किले में जरूर घूमने जाना चाहिये.
2- जय विलास पैलेस
ग्वालियर का प्रसिद्ध जय विलास पैलेस जिसे जय विलास महल के रूप में भी जाना जाता हैं. जय विलास पैलेस आधुनिक समय में संरक्षित, सदियों पुरानी भारतीय संस्कृति और भव्यता का प्रतीक माना जाता है. सन 1874 में वेल्स के तत्कालीन राजकुमार किंग एडवर्ड के भव्य स्वागत के लिए इस पैलेस का निर्माण किया गया था. इस महल में 30 कमरे हैं और एक आर्ट गैलरी में 5000 से अधिक पुस्तके रखी हुई है.
3- तेली का मंदिर
ग्वालियर का दर्शनीय स्थल तेली का मंदिर ग्वालियर किले में स्थित हैं. इस मंदिर का निर्माण 9वीं शताब्दी में किया गया था और यह ग्वालियर की सबसे बड़ी ईमारत हैं. जिसकी ऊंचाई 100 फिट हैं. यह शानदार भव्य मंदिर अपनी अनूठी वास्तुकला के लिए पूरे भारत वर्ष में प्रसिद्ध है.
4- तानसेन का मकबरा
ग्वालियर में देखने लायक जगहों में तानसेन का मकबरा भी शामिल हैं. यह मकबरा भारत के प्रसिद्ध संगीतकार और सम्राट अकबर के दरबार के प्रमुख गायक तानसेन का हैं जोकि अकबर के दरबार के नो रत्नों में से एक हैं. माना जाता है कि ग्वालियर का यह प्रसिद्ध संगीतकार अपने संगीत के जादू से बारिश करा देता था और जानवरों को अपने संगीत से मन्त्र मुग्ध कर देता था.
5- मान मंदिर पैलेस
ग्वालियर के प्रसिद्ध किले के उत्तर-पूर्वी छोर पर स्थित मान मंदिर पैलेस का निर्माण वर्ष 1486 और 1516 के दौरान तोमर शासक मान सिंह तोमर के नेतृत्व में किया गया था. इसी महल में औरंगज़ेब ने अपने भाई मुराद को बंदी बनाया था. महल के दो खुले कोर्ट हैं जिसमे दो स्तरों पर अपार्टमेंट बने हुए हैं. इल्तुतमिश की कुरूर सेना से बचने के लिए कई राजपूत महिलाओं की आत्म-हत्या की कहानी इस महल से जुडी हैं. महल घूमने के लिए आप स्थानीय गाइड को मूल चुका कर अपने साथ कर सकते हैं.
6- गुजरी महल
ग्वालियर में देखने वाला स्थानो में शामिल गुजरी महल मान सिंह द्वारा अपनी सबसे प्रिय पत्नी मृगनयनी के लिए 15वीं शताब्दी के दौरान बनबाया गया था. यह महल अब खंडरों में तब्दील होता जा रहा हैं. महल में एक पुरातात्विक संग्रहालय भी बना हुआ है.
7-सास बहू मंदिर
ग्वालियर के प्रसिद्ध सास बहु मंदिर का निर्माण 9वीं शताब्दी में किया गया था. ग्वालियर का सास बहु मंदिर यहा आने वाले पर्यटकों और भक्तो को बहुत अधिक आकर्षित करता हैं. मंदिर के नाम सास-बहू का अभिप्राय भगवान विष्णु के एक अन्य नाम शास्त्री बहू का संक्षिप्त रूप है.
8- सिंधिया संग्रहालय
ग्वालियर का यह खूबसूरत सिंधिया संग्रहालय जीवाजी राव सिंधिया को समर्पित हैं. यह संग्रहालय मध्य-प्रदेश के सबसे प्रमुख संग्रहालयों में से एक हैं. इसका निर्माण सन 1964 में किया गया था. यह संग्रहालय पांडुलिपियों, सिक्कों, चित्रों, हथियारों, मूर्तियों आदि के संग्रह के लिए प्रसिद्ध है.
9- मोहम्मद गौस का मकबरा
ग्वालियर में स्थित 16वीं शताब्दी के दौरान का यह मकबरा राजकुमार मोहम्मद गौस सुफी की कब्र अब हजीरा शहर में स्थित है. इस मकबरे में आश्चर्यजनक मुगल वास्तुकला की झलक देखने को मिलती हैं. यह स्थान हिन्दुओं और मुसलमानों के लिए सामान रूप से पावन स्थान माना गया हैं.
10- ग्वालियर का चिड़ियाघर
ग्वालियर शहर समृद्ध विरासत वाला शहर एक आकर्षित और रोमांचक गतिविधियों से भी भरा हुआ है. सन 1922 में शाही परिवार के मधाओ राव सिंधिया द्वारा स्थापित किया गया गांधी चिड़ियाघर यहां का एक खूबसूरत जू हैं. यह स्थान वास्तव में फूल बाग के नाम से भी जाना जाता हैं. इस बाग में कई प्रजातियों के सांभर, चित्तीदार हिरण, काले हिरन, बाइसन, लकड़ बग्घा और सफेद बाघ देखने को मिल जाते है.
11- सूर्य मंदिर
ग्वालियर के दर्शनीय स्थलों में शामिल यहां का सूर्य मंदिर भगवान सूर्य देव को समर्पित हैं. सूर्य मंदिर ग्वालियर के सबसे शानदार मंदिरों में से एक है और साथ ही साथ इस मंदिर में शानदार वास्तुशिल्प है जो आश्चर्यचकित कर देती हैं. सूर्य मंदिर का निर्माण वर्ष 1988 के दौरान एक प्रसिद्ध उद्योगपति जीडी बिड़ला के द्वारा करबाया गया था. सूर्य मंदिर में आने वाले पर्यटकों की लम्बी कतार वर्ष भर लगी रहती हैं.
12- पदावली और बटेश्वर
ग्वालियर से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर पदावली कई प्राचीन मंदिरों से युक्त एक शानदार किला है. मंदिरों में जटिल नक्काशीयां देखने को मिलती है और इसके अलावा मंदिर में कामुक नक्काशी भी देखी जा सकती है. इसलिए ग्वालियर के इस स्थान को मिनी खजुराहो के नाम से भी जाना जाता हैं.
13- सूरज कुंड
ग्वालियर के आकर्षण पर्यटक स्थल सूरजकुंड का निर्माण 10वीं शताब्दी के दौरान तोमर राजवंश के शासक सूरज पाल ने किया था. सूरज पाल खुद एक सूर्य उपासक भी थे और इसलिए तटबंध के पश्चिमी क्षेत्र में सूर्य मंदिर बनबाया गया था. सूरजकुंड ग्वालियर किले में स्थित एक टैंक हैं.
14- तिघरा बांध
ग्वालियर में घूमने के स्थानों में तिघरा बांध शहर से थोड़ी दूरी पर बना है. यहां के स्थानीय और दूर से आने वाले पर्यटकों के लिए यह बांध एक शानदार पिकनिक स्पार्ट हैं. बारिश के मौसम में डैम देखने के लिए यहां दूर-दूर से पर्यटक आते है.
15- सरोद घर
ग्वालियर आने वाले पर्यटकों में संगीत के शौकीन व्यक्ति अक्सर सरोद घर की ओर रुख करना पसंद करते है. सरोद घर संगीत का एक संग्रहालय है जिसे महान संगीत उस्ताद हाफिज अली खान के पैतृक घर में बनाया गया हैं. इस संग्रहालय में पुराने समय के कुछ संगीत वाद्ययंत्र रखे गए हैं.
16- मशहूर मृगनयनी एम्पोरियम
ग्वालियर के मृगनयनी एम्पोरियम में आप प्रसिद्ध चंदेरी और माहेश्वरी सरिस सहित हस्तशिल्प और कपड़े खरीद सकते हैं. मृगनयनी एम्पोरियम का नाम रानी मृगनयनी के नाम पर दिया गया है.
17- जियाजी चौक बाजार
ग्वालियर का जियाजी चौक बाजार हस्तशिल्प, हथकरघा उत्पादों और आभूषणों के लिए एक शानदार स्थान हैं.
18- पाटनकर बाजार
ग्वालियर के इस आकर्षित पाटनकर बाजार विभिन्न प्रकार की वस्तुओं हस्तशिल्प, हथकरघा उत्पाद, पत्थर की नक्काशी और कलाकृतियां देखने को मिल जाएगी.
19- दाता बंदी छोड़ गुरुद्वारा
ग्वालियर का यह दर्शनीय गुरुद्वारा दाता दी छोड सिखों के गुरु हर गोविन्द साहिब के नाम के साथ जुड़ा हुआ है. जोकि उनकी कैद और 52 राजाओं की रिहाई से सम्बंधित हैं. यह गुरुद्वारा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व से परिपूर्ण हैं.
20- उषा किरण पैलेस
ग्वालियर में बनी उषा किरण पैलेस का निर्माण सन 1880 में सिंधिया शासकों द्वारा करबाया गया था. यह संपत्ति वर्तमान में भारत में होटल के ताज समूह के अधीन हैं और 9 एकड़ से अधिक भू-भाग में फैली हुई है.
21- गोपाचल पर्वत ग्वालियर दर्शनीय स्थल
ग्वालियर का गोपाचल पर्वत 7वीं और 15वीं शताब्दी के रॉक-कट जैन स्मारकों के जाना जाता है. यह स्मारक जैन तीर्थंकरों आदिनाथ, नेमिनाथ, महावीर और ऋषभनाथ को समर्पित हैं. इनकी मूर्ती ध्यान मुद्रा में देखी जा सकती हैं यह आपको लगभग 100 स्मारकों को देखने का अनुभव मिल सकता हैं.
22- रानी लक्ष्मी बाई की समाधि
ग्वालियर में रानी लक्ष्मी बाई की समाधी बनी हुई है जोकि ग्वालियर आने वाले पर्यटकों के लिए एक शानदार पर्यटन स्थल हैं. यहां के आकर्षण में रानी लक्ष्मी बाई की 8 मीटर उंची प्रतिमा बनी हुई हैं. यह इतिहास प्रेमियों के लिए एक शानदार स्थान हैं.
23- सिंधिया राजवंश की छतरियां
ग्वालियर में सिंधिया राजवंश की छतरियां यहां के आकर्षण का प्रमुख केंद्र हैं. इन छत्रियां का सबसे पहले सन 1817 में जियाजी राव सिंधिया की याद में निर्मित किया गया था.