BhopalMadhya Pradesh

लापरवाही : फसल बीमा में 6511 गांवों का नाम दर्ज नहीं, 5 लाख किसान मुआवजे से वंचित

2 लाख किसानों को 99 रुपये से कम का मुआवजा
भोपाल। मध्यप्रदेश के किसानों पर पहले मौसम और आपदा की मार पड़ी अब उनको सरकारी लापरवाही की कीमत भी चुकानी पड़ रही है। इस लापरवाही के कारण पांच लाख किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का मुआवजा नहीं मिल पाएगा। वो इसलिए क्योंकि सरकार अपने पोर्टल में 6511 गांवों की अधिसूचित फसल दर्ज करना भूल गई। ये गांव सीहोर, हरदा, होशंगाबाद, देवास और रायसेन जिले के हैं। केंद्र सरकार ने इस गड़बड़ी पर राज्य सरकार से 30 सितंबर तक जानकारी मांगी है, ताकि इन किसानों को फसल बीमा का फायदा मिल सके।

2 लाख किसानों को 99 रुपये से कम मुआवजा

हाल ही में सरकार ने खरीफ-2019 की 4611 करोड़ रु. बीमा राशि 22 लाख किसानों के खाते में डाली थी। इसमें से करीब दो लाख किसान ऐसे हैं, जिन्हें 99 रु. या दो अंकों में मुआवजा मिला। ये वे किसान हैं, जिनकी सोयाबीन की फसल खराब हुई है। नीमच में बोरखेड़ी पोनेरी के गोपाल को 35 पैसे तो सीहोर की श्यामपुर दोराहा की कौशल्या को एक रुपए मुआवजा मिला। ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि दो साल पहले सरकार ने तय किया था कि न्यूनतम मुआवजा 200 रु. होगा, लेकिन यह मामला केंद्र के पास मंजूरी के लिए अटका है। अब जब किसानों को 200 रु. से कम मुआवजा मिला, तब राज्य ने केंद्र से प्रस्ताव को मंजूरी देने को कहा है।
मामले पर कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने कहा कि ऐसे दो लाख किसान हैं जिन्हें 100 रुपए से भी कम मुआवजा मिला है। राज्य सरकार किसानों से मुआवजे के नाम पर मजाक कर रही है।

कई जिलो के किसान बेहाल
रतलाम, मंदसौर व नीमच में सैंकड़ों किसान ऐसे हैं, जिन्हें 100 रुपए से कम का क्लेम मिलेगा। मंदसौर जिले में 11 रुपए व रतलाम जिले में 43 रुपए न्यूनतम बीमा क्लेम मिलेगा। नीमच जिले के मोडी के किसान गोविंदराम को 23 रुपए का बीमा क्लेम स्वीकृत हुआ है। सूची में 21 किसान ऐसे हैं जिन्हें 100 रुपए से कम की बीमा राशि स्वीकृत हुई है। बोरखेड़ी पानेरी के किसान गोपालकृष्ण ने बताया कि सरकार जब मदद नहीं कर सकती है तो मजाक क्यों करती है। खरगौन जिले में किसानों को 4 से 8 रुपए तक का मुआवजा मिला, जिले में 1.43 लाख किसान है और क्लेम की 118 करोड़ 22 लाख रुपए की राशि का वितरण किया जाना है। महेश्वर के नागझिरी गांव के 81 किसानों को मिली क्लेम की राशि 8 रुपए से कम है।


मंत्री ने कहा- मामले की जांच कराएंगे
कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा कि यह गड़बड़ी सामने आई है। बीमा कंपनियों से कहा गया है कि इसे ठीक करें। अफसरों को भी चेतावनी दी गई है कि इस तरह से नहीं चलेगा। पांच हजार से ज्यादा गांवों के रिकॉर्ड में अधिसूचित फसल की जानकारी नहीं होना गंभीर मामला है। एक पटवारी हल्के में से आधा गांव कैसे छूट गया। इसकी जांच कराएंगे।