Madhya Pradesh

मध्यप्रदेश: सर्वे पार्ट-3: सत्ता का कारोबार हो वहां, नेताओं का सत्कार हो जहाँ

“बड़ी मुद्दत और शिद्दत से सियासत का कारोबार मिला,
ना मिला तो बस कोई तलबग़ार ना मिला।”

भोपाल। जी हाँ कुछ ऐसा ही हाल मध्यप्रदेश की सियासत में चल रहा है पंद्रह महीने के अज्ञातवास के बाद पंद्रह साल वाले शिवराज को सियासत तो मिल गयी मगर उनको पूछने वालों में काफी कमी आ गई है, अब तो सिंधिया के जयकारों को शिवराज कहीं खो से गए हैं।


कुछ ऐसा ही हाल है मध्यप्रदेश का जहाँ सत्ता की जंग जारी है कहीं शिवराज तो कही कमलनाथ भारी हैं। सीटों की संख्या क्या होगी ये तो वक्त बताएगा मगर शिवराज की कीमत भाजपा में क्या है ये तो कार्यकर्ताओं की जुबाँ पर है।


जो शिवराज के हितैषी है वो उखड़े मन से सीटों पर दिखावे का प्रचार कर रहे हैं जो सिंधिया के शुभचिंतक हैं वो शिवराज के ऊपर सिर्फ वार कर रहे हैं।
इन पूरी बातों का फ़लसफ़ा सिर्फ इतना है की उपचुनाव कब होगा ये जानकारी नहीं, मगर भाजपा में सत्ता पार्टी को नहीं सत्ता किस नेता को भेंट चढ़ाना है यही जमीन पर चल रहा है।


कमलनाथ और उनके कार्यकर्त्ता जहाँ सत्ता के लिए संघर्ष कर रहे हैं, घर घर जहाँ कमलनाथ के शुभचिंतक जा रहे हैं। सिर्फ कमलनाथ को पुनः मुख्यमंत्री के रूप में देखने के लिए वही भाजपा में क्रेडिट किसको मिलेगा शिवराज या सिंधिया इसी में प्रचार का कारोबार चल रहा है।


कुल मिला कर सत्ता किसी के भी हाथ में आये बस नाम होना चाहिए। पार्टी हुई बहुत पुरानी अब भाजपा में सिर्फ नेताओं का स्थान होना चाहिए।