Madhya Pradesh

अक्षय तृतीया क्यों है महत्वपूर्ण और जानें कैसे की जाये पूजा

अक्षय तृतीया या आखा तीज वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहा जाता है. इस वर्ष यह पर्व 14 मई को पड़ रहा है लेकिन पिछले साल की तरह इस बार भी लॉकडाउन के कारण लोगों को घरों पर ही यह पर्व मनाना पड़ेगा. पौराणिक ग्रंथों में इस पर्व की महत्ता बताते हुए कहा गया है कि इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है. वैसे तो सभी बारह महीनों की शुक्ल पक्षीय तृतीया शुभ होती है, किंतु वैशाख माह की तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्तों में मानी गई है. कहा जाता है कि इस दिन बिना कोई पंचांग देखे कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह-प्रवेश, वस्त्र-आभूषणों की खरीददारी या घर, भूखंड, वाहन आदि की खरीददारी आदि कार्य किए जा सकते हैं.

दो साल से बदल गया है अक्षय तृतीया पर्व का सामाजिक स्वरूप

इस दिन आभूषणों की दुकानों पर लोगों की भीड़ उसी तरह लगती है जैसे धनतेरस के दिन होती है. यही नहीं बहुत-से लोग तो इस दिन नया वाहन खरीदते हैं या नये मकान का सौदा आदि करते हैं ताकि उनके घर में धन-धान्य बना रहे. माना जाता है कि इस दिन ख़रीदा गया सोना कभी समाप्त नहीं होता, क्योंकि भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी स्वयं उसकी रक्षा करते हैं. हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार यह दिन सौभाग्य और सफलता का सूचक है. यही नहीं साल में सबसे ज्यादा जिन दिनों में शादियां होती हैं उनमें से एक अक्षय तृतीया भी है. लेकिन इस साल हालात अलग नजर आ रहे हैं. बाजार बंद हैं, ऑनलाइन ज्यादा लोग ज्वैलरी खरीदते नहीं, खरीद भी लें तो यह चिंता है कि वह मिलेगा कैसे क्योंकि इस समय सिर्फ आवश्यक वस्तुओं की ही डिलीवरी की कई जगह अनुमति है. इसी सब को देखते हुए गोल्ड बांड्स की तरफ लोग आकर्षित हो रहे हैं. लेकिन ऐसे लोगों की संख्या भी सीमित ही है क्योंकि अधिकांश लोग तो इसी चिंता में हैं कि किसी तरह इस महामारी के समय में जीवन बचे. दूसरी ओर शादियां भी जो धूमधाम से हुआ करती थीं वह अब कहीं मात्र 20 लोगों की तो कहीं 50 लोगों की उपस्थिति में हो रही हैं. गंगा घाटों पर लगने वाले स्नान मेले भी नहीं आयोजित किये जा रहे हैं.

पर्व की महत्ता

अक्षय तृतीया के दिन पितरों को किया गया तर्पण या किसी भी प्रकार का दान, अक्षय फल प्रदान करने वाला है. इस दिन गंगा स्नान करने से तथा भगवत पूजन से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं. मान्यता है कि यदि इस दिन मनुष्य अपने या स्वजनों द्वारा किए गए जाने-अनजाने अपराधों के लिए सच्चे मन से ईश्वर से क्षमा प्रार्थना करे तो भगवान अपराधों को क्षमा कर देते हैं और उसे सद्गुण प्रदान करते हैं.

अक्षय तृतीया पूजन विधि

अक्षय तृतीया के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा स्नान करने के बाद शांत मन से भगवान श्रीविष्णु की विधि विधान से पूजा करनी चाहिए. इस दौरान नैवेद्य में जौ या गेहूँ का सत्तू, ककड़ी और चने की दाल अर्पित की जाती है. इसके बाद फल, फूल, बरतन तथा वस्त्र आदि ब्राह्मणों को दान के रूप में दिये जाते हैं. इस दिन ब्राह्मण को भोजन करवाना कल्याणकारी समझा जाता है. इस दिन लक्ष्मी नारायण की पूजा सफेद कमल अथवा सफेद गुलाब या पीले गुलाब से करना चाहिये.