ये है भाजपा सरकार के विफलता के कारण…….
भाजपा ने अविश्वसनीय रूप से प्रभावी प्रोपेगंडा के साथ कुछ विशिष्ट संदेशों को फ़ैलाने में बहुत गजब का काम किया है और ये सन्देश प्राथमिक कारण हैं कि एक लेखक और भारत देश की नागरिक के तौर पर अब भाजपा जैसी पार्टी का समर्थन नहीं करती.
ये सरकार अब मूक बन चुकी और आंखों से अंधी भी आइये बताते हैं मेरी नज़र में क्या हैं विफलता के कारण-
1- तेल की बढ़ती कीमतें
पेट्रोल-डीजल के बढ़े दाम से देश भर में हाहाकार मचा है. विगत छह वर्षों में पेट्रोल और डीजल सबसे ज्यादा महंगा हुआ है. तेल की कीमतों में किस तरह से आग लगी हुई है की आम जनता के बारे में सोचा तक नहीं जा रहा है सरकारी तेल कंपनियों की ओर पेट्रोल व डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है. मई के महीने में डीजल की कीमत 31 से 35 पैसे तक बढ़ी है तो वहीं पैट्रोल की कीमत भी 23 से 26 पैसे तक बढ़ी है. भारत सरकार जल्द ही सैकड़ा पार इन दामों को लेकर जायेगा क्योंकि नीचे गिरने के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं.
2- कालेधन का झूठा वादा
2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान पीएम मोदी की यूपीए सरकार को कालेधन के मुद्दे पर सबसे ज्यादा कोसा था. पीएम मोदी अपने भाषणों में कहा करते थे कि उनकी सरकार जब सत्ता में आएगी तो विदेशों में जमा भारतीय लोगों का कालाधन वो ले आएंगे और यह कालाधन इतना अधिक होगा कि सरकार हर व्यक्ति को 15 -15 लाख रुपए देगी. मोदी सरकार के चार छह पूरे हो गए मगर अब भी लोगों को इस बात का इंतजार है कि विदेशों से कालाधन कब आएगा और उससे अधिक लोगों को इस बात का इंतजार है कि उनके अकाउंट में 15 लाख रुपए कब आएंगे, जिसका वादा चुनाव से पहले पीएम मोदी ने किया था.
3- नोटबंदी की मार
मोदी सरकार ने आठ नवंबर, 2016 को नोटबंदी को लागू करने का ऐतिहासिक फैसले लिया था. लेकिन इसका परिणाम सरकार के लिए नुकसानदेह साबित हुआ. सरकार के इस फैसले से न सिर्फ आम लोगों को परेशानी हुई बल्कि कालाधन भी नहीं हुआ. न ही भ्रष्टाचार में कमी देखने को मिली. नोटबंदी की विफलता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि भारतीय रिजर्व बैंक भी कह चुका है कि मार्केट में मौजूद पुराने नोट करीब 99 फीसदी वापस आ गए है. लेकिन मोदी सरकार मार्केट फैले में जाली नोटों और देश में छुपे कालेधन का पूरा हिसाब अभी तक नहीं दे पाई है.
4- पड़ोसियों से संबंध
प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को बेहतर बनाने की दिशा में सबसे ज्यादा प्राथमिकता पड़ोसी देश नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका, पाकिस्तान, म्यांमार, मालदीव को देने की घोषणा की थी. इस मोर्चे पर भी सरकार विफल साबित हुई और चीन ने मोदी सरकार को चारों तरफ से घेर लिया है. नेपाल,पाकिस्तान, मालदीव व बांग्लादेश की नाराजगी किसी से छिपी नहीं है. इतना ही नहीं मोदी सरकार ने इन देशों के संगठन सार्क को भी निष्क्रिय बनाकर रख दिया.
5- कोरोना का कहर
चारों तरफ कोरोना से त्राहि त्राहि मची हुई है. देश की जनता खून की आंसू पी पी कर अपनों को मरते देख रही है. देश की जनता को मोदी सरकार से अब कोई उम्मीद नहीं रह गयी है कारण ये की सरकार के पास मौजूदा इंतेज़ाम ही नहीं है ना ही पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन बेड, ना इंजेक्शन, ना दवाई, ना ऑक्सीजन प्लांट. सरकार निष्क्रिय पड़ चुकी है यही कारण है कि आज देश का बच्चा, नौजवान, बूढ़ा इस लड़ाई को लड़ रहा हैं. किसी की किस्मत अच्छी तो बच गया वरना मरना तो है ही वायरस से ना सही तो भूख से.
जितनी तेजी से जनता ने मोदी सरकार को ऊपर उठाया था अब समय आ गया है उतनी ही तेज़ी से नीचे गिराने का…