सिंधिया रियासत की राजमाता तिहाड़ जेल में कैदी नंबर-2265 बन कर रहीं, जानिये पूरी कहानी
ग्वालियर: सिंधिया रियासत की महारानी और तिहाड़ जेल, अजीब सा लगता है, मगर सच है. ग्वालियर की तत्कालीन महारानी भी तिहाड़ जेल में कैदी नंबर-2265 बन कर रही थीं.
जेल में एक ही टॉयलेट था
पहले महारानी और बाद में राजमाता के नाम से राजनीति में जानी गईं विजयाराजे सिंधिया 1975 की इमरजेंसी में तिहाड़ जेल में कैदी नंबर-2265 के तौर पर बंदी रही थीं. इसी जेल में उनके पास वाली सेल में 1975 में मीसा के तहत बंदी बनाई गईं जयपुर की महारानी गायत्री देवी भी कैद थीं. हमेशा ढेरों नौकर-चाकर के बीच रहने वाली और 21 तोपों की सलामी की हकदार रही दोनों महिलाओं को अपनी कोठरी में बगैर किसी सहायक के अपने सारे काम खुद ही करने होते थे. देश की दो बड़ी रियासतों की महारानियों को जेल में एक ही टॉयलेट शेयर करना पड़ता था.
महिला कैदियों की भी राजमाता बन गई विजयाराजे
तिहाड़ की महिला कैदियों के कष्ट देख कर विजयाराजे ने उनके व बच्चों के लिए जेल के डॉक्टर से पूछ कर दवाइयों और कपड़ों की लिस्ट अपनी बेटियों को भिजवाई. दवाइयां व गर्म कपड़े उनको मिले, तो सब राजमाता के और करीब आ गईं. महिला कैदी उन्हें राजमाता कह कर उनका खास खयाल रखने लगीं. हत्या की एक आरोपी ने तो जेल प्रशासन को आवेदन सौंपा कि उसे राजमाता की सेवा में उनकी कोठरी में तैनात कर दिया जाए.
जेल से गईं तो महिला कैदियों ने फूल बरसाए
विजयाराजे जेल में बीमार हो गईं तो डॉक्टरों ने इलाज पर उन्हें पैरोल पर बाहर जाने की सिफारिश की. जेल से जब राजमाता पैरोल पर बाहर जाने लगीं तो अंतिम दिन इन महिला कैदियों ने पहले उनके मनोरंजन के लिए भजन गाए, रवाना होते वक्त आंखों में आंसू भरे उन्होंने राजमाता के ऊपर फूल बरसाकर उन्हें विदाई दी.