जानिए सार्वजनिक जगहों पर आप फोटो क्यों नहीं खींच सकते. आपको क्यों और कौन फोटो खींचने से मना कर सकता है
आपने कई जगह लिखा देखा होगा कि यहां पर फोटोग्राफ़ी या वीडियोग्राफ़ी करना मना है. उनमें तो कई ऐसी जगह भी होती होंगी, जहां आप समझ ही नहीं पाते होंगे कि यहां ऐसा क्यों ही लिखा है? उस वक़्त आपके मन में सवाल उठता होगा कि भाई मेरा फ़ोन है. देश आजाद है. तो मैं फोटो क्यों नहीं खींच सकता?
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अभी हाल ही में आपने दिल्ली में इंडिया गेट और राष्ट्रपति भवन के बीच की सड़क पर होने वाले सेंट्रल विस्टा पुनर्निर्माण वाली जगह की एक फोटो जरुर देखी होगी. जिसपर लिखा था कि यहां फोटोग्राफी और वीडियोग्राफ़ी करना मना है.
इस प्रोजेक्ट में सरकार संसद भवन, प्रधानमंत्री और उप राष्ट्रपति के घर के अलावा कई सरकारी बिल्डिंग राजपथ और इंडिया गेट के आस पास बन रही है. अब कोविड के टाइम में ये सब हो रहा है. इसलिए जमकर आलोचना भी हो रही है. लेकिन इसी बीच आलोचनाओं की परवाह किए बिना CPWD ने इंडिया गेट के पास निर्माण स्थल पर फोटोग्राफी और वीडियो रिकॉर्डिंग को प्रतिबंधित कर दिया.
इससे पहले गोरखपुर में भी फोटोग्राफी से रोका गया था
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर गोरखपुर में भी श्मशान घाटों के बाहर नगर निगम की तरफ से एक पोस्टर लगाया गया. पोस्टर में लिखा था कि, “शवदाह गृह पर पार्थिव शरीर का दाह संस्कार हिंदू रीति रिवाज के अनुसार किया जा रहा है कृपया फोटोग्राफी/वीडियोग्राफी न करें. ऐसा करना दंडनीय अपराध है.”
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खैर, जब भी ऐसी खबर आती हैं कि ‘पब्लिक प्लेस पर फोटो या वीडियो बनाना मना है’ तो एक सवाल दिमाग में ज़रूर आता है कि यार ऐसे कौन से नियम हैं, किसके पास ये सब अधिकार होते हैं कि झट से कलम चलाकर हमारे कैमरे का बटन दबाने se मना कर देते हैं? हमने आज इन्हीं सवालों के जवाब खोजने की कोशिश की है.
इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील चरणजीत सिंह बताते हैं कि ऐसे प्रतिबंधित क्षेत्र होते हैं जहां सुरक्षा संबंधी एजेंसी या जो भी लॉ एन्फोर्समेंट एजेंसी होती हैं. जो इन जगहों की देखभाल करती हैं. वो इन जगहों पर किसी भी व्यक्ति को फोटोग्राफी करने से रोक सकती हैं. आमतौर पर लोगों को फोटोग्राफी से रोकने के पीछे प्राइवेसी सबसे अहम कारण होता है किसी भी तरह की फोटोग्राफी या वीडियोग्राफी निषेध करने के लिए. पब्लिक सेफ्टी यानी सार्वजनिक सुरक्षा को ध्यान में रखकर भी इस तरह के प्रतिबंध लागू किए जा सकते हैं.”
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इनके अलावा कुछ अन्य प्रकार की परिस्थिति में भी फ़ोटोग्राफ़ी और वीडियोग्राफ़ी निषेध की जा सकती है, उदाहरण से इसे समझें तो, गोरखपुर में श्मशान घाट में जल रही चिताओं की तस्वीरें और वीडियोग्राफ़ी पर रोक लगा दी गई है. इस पर एडवोकेट चरणजीत सिंह का मानना है कि, ‘इस तरह की तस्वीरें कुछ इंसानों को विचलित कर सकती हैं, खास तौर पर कोरोना के इस काल में जहां हर तरफ निराशा फैली है, वहां जलती हुई चिताएं दुख का सबब बन सकती हैं. इन कारणों से भी कई बार सार्वजनिक स्थल पर तस्वीरें और फोटोग्राफी को प्रतिबंधित कर दिया जाता है.’
इसके अलावा कई बार ऐसा भी देखा गया है कि जब सरकार किसी चीज़ को गोपनीय रखना चाहती है. तो भी वो ऐसे फैसले लेती है.
फोटोग्राफी से रोकने का अधिकार किसे?
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इस बारे में वकील चरणजीत सिंह ने बताया कि, “वह संस्था जिसके द्वारा किसी भी पब्लिक प्लेस की देखरेख की जा रही है या जिसके संरक्षण में इस स्थल का निर्माण किया जा रहा है, वह संस्था फोटोग्राफी तथा वीडियोग्राफी करने पर प्रतिबंध लगाने के आदेश दे सकती है. यदि कोई पब्लिक प्लेस किसी विशिष्ट नगरपालिका के अंदर आता है, तो वहां की लोकल अथॉरिटी तस्वीरें लेने और फोटोग्राफी करने पर रोक लगा सकती है. जैसा की गोरखपुर शमशान घाट वाले मामले में हुआ.”
इस आदेश का पालन संस्था, उस सार्वजनिक स्थल की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों के जरिए करवाया जा सकता है. वहीं दिल्ली में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का काम CPWD के अंतर्गत किया जा रहा है. ऐसे में उसके पास भी ये अधिकार है कि वो ये आदेश जारी कर सकती है.
एक उदाहरण, हम दिल्ली मेट्रो के संदर्भ से भी समझ सकते हैं. जैसे कि दिल्ली मेट्रो में सुरक्षा कारणों से DMRC की तरफ से फोटोग्राफी प्रतिबंधित है. ऐसे में दिल्ली मेट्रो के सुरक्षाबल CISF पर इस नियम को पालन करवाने की ज़िम्मेदारी रहती है.
किस स्थिति में फोटोग्राफी से रोका जा सकता है?
फोटोग्राफी से रोकने की स्थिति पर चरणजीत सिंह ने बताया कि,”किसी सार्वजनिक स्थल पर फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी पर रोक लगाने का सबसे प्रमुख कारण होता है सुरक्षा. इस अहम वजह से उस स्थान पर फोटोग्राफी को प्रतिबंधित किया जा सकता है. ऐसे में फोटोग्राफी ही नहीं, बल्कि आने-जाने को भी प्रतिबंधित किया जा सकता है. सुरक्षा संबंधि कारण हैं तो राज्य इस पर फैसला ले सकता है कि उसे फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी या भ्रमण के लिए प्रतिबंधित कर दें.”
इन चीज़ों के जरिए हम समझ सकते हैं कि राज्य या वह संस्था जिसके द्वारा किसी भी पब्लिक प्लेस की देखरेख की जा रही है या जिसके संरक्षण में उस स्थल का निर्माण या रखरखाव किया जा रहा है, वह उस पब्लिक प्लेस पर फोटोग्राफी या वीडियोग्राफी पर प्रतिबंध लगा सकता है.