लॉकडाउन के बावजूद चोरी-छिपे पंडे करा रहे थे पिंडदान, भनक लगते ही पुलिस ने खदेड़ा
पूरे प्रदेश के साथ-साथ उज्जैन भी कोरोना के जबरदस्त संक्रमण की चपेट में है. पिछले साल पहली लहर में वो इंदौर, भोपाल के साथ तीसरा सबसे ज़्यादा संक्रमित शहर था. इस बार भी संक्रमण ज़्यादा होने के कारण कोरोना कर्फ्यू में सब बंद है.
लेकिन पंडे और जजमान उसके बाद भी नहीं मान रहे. चोरी छुपे वो मृतकों का पिंडदान कर रहे हैं. पुलिस ने भी अति कर दी. घाट पर छापा मारकर उन्हें ऐसे भगाया मानो वो कोई चोर उचक्के हों. इससे पंडे नाराज़ हैं और उन्होंने अफसरों से लेकर नेताओं तक सबको ज्ञापन सौंपा है.
उज्जैन कोरोना महामारी और कोरोना कर्फ्यू के कारण क्षिप्रा नदी के किनारे रामघाट पर पिंडदान और अन्य पूजन पाठ पर प्रतिबंध है. लेकिन पंडे और जजमान दोनों नहीं मान रहे. वो चोरी छुपे पूजन कर रहे हैं. पुलिस प्रशासन को इसकी भनक लगी तो वो दल बल के साथ छापा मारने पहुंच गयी.
महाकाल थाने के बल के साथ सीएसपी पल्लवी शुक्ला राम घाट पर पहुंची. उन्होंने पंडित सहित पूजन पर बैठे जजमानों को खदेड़ना शुरू कर दिया. पुलिस तो पुलिस होती है. उसने सख्त आवाज़ में चिल्लाना शुरू कर दिया. पुलिस को देखकर पंडे और जजमान दोनों पूजा छोड़कर भागने लगे. आगे-आगे महिला और पुरुष जजमान और पीछे पुलिस भागती नज़र आयी. इस तरह का वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस की काफी किरकिरी हुई. अब पंण्डे पुजारियों ने मिलकर सीएम शिवराज सिंह , धर्मस्व मंत्री उषा ठाकुर और उज्जैन सांसद अनिल फिरोजिया को प्रशासन के इस रवैये के खिलाफ ज्ञापन दिया है. उन्होंने मांग की है कि सभी पंडितों को पूजन कराने की अनुमति दी जाए.