राजनीति में न कोई स्थायी दोस्त होता है ना कोई स्थायी दुश्मन।
अब ज्योतिरादित्य सिंधिया को देख लीजिए इस पर सटीक बैठेते है ।
कांग्रेस से 4 बार सांसद रहे, केंद्र में मंत्री रहे , पार्टी महासचिव भी रहें लेकिन सत्ता की भूख, पद के लालच ने उन्हें धोखेबाज़ और गद्दारी का दाग उनके दामन पर लगा गया।
मौसम भांप मर कांग्रेस से बीजेपी जाने वाले सिंधिया के बोल पल भर में बदल गए । ये वहीं सिंधिया है जिन्होंने प्रधान मंत्री मोदी की नीतियों पर सवाल खड़े किए थे।
लेकिन अब सिंधिया को मोदी की नीतियां भी अच्छी लगने लगी और विकास कार्य भी रास आने लगे।
ये वहीं सिंधिया है जिन्होने कहा था अगर विकास के लिए खून की जरूरत पड़ेगी तो देने से पीछे नही हटेंगे।
अब देखना बाकी है ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने व्यक्तिगत विकास के लिए कितने नीचे गिर सकते है और खानदान में बरसो से चली आ रही धोखा देने की नीति को कब तक बरकरार रखते है?…