मध्यप्रदेश की राजनीति में घमासान, शिवराज का कद घटेगा, नरोत्तम मिश्रा बढ़ेगा, क्या सिंधिया को लगा है झटका, गोपाल भार्गव की राजनीति पर खतरा
नई दिल्ली/भोपाल। मध्यप्रदेश में शिवराज मंत्रिमंडल का 30 जून को होने वाला विस्तार एकबार फिर टलने के साथ भाजपा में उथल पुथल के संकेत दे रहा है। मध्यप्रदेश की राजनीति हर दिन के साथ नए पटकथा और नए पात्रों के साथ नए कलेवर के साथ लोगों के सामने आ रही है। कांग्रेस की कमलनाथ की सरकार को गिराकर चौथी बार मुख्यमंत्री बनने वाले शिवराज के सिर पर सजा ताज कांटों से भर गया है। ताजा राजनीतिक समीकरण मध्यप्रदेश में उनके कद घटने के और कैबिनेट मंत्री नरोत्तम मिश्रा के कद बढ़ने का इशारा कर रहा है। कांग्रेस छोड़कर 22 विधायकों के साथ आने वाले सिंधिया को मनोवांछित सफलता पर भी ब्रेक लगता दिख रहा है। भाजपा सरकार बनाने में अपने रसूख और कद का इस्तेमाल करने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता गोपाल भार्गव खुद को ठगा महसूस कर रहे है और प्रदेश् की राजनीति में खुद को अकेला पा रहे हैं।
फिलहाल तीन दिन की यात्रा के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह मंगलवार को भोपाल लौट आए हैं। बताया जा रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व के आदेश से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह सहमत नहीं हो पा रहे हैं। मंत्रिमंडल विस्तार टलने के बाद प्रदेश की राजनीति में कुछ बड़ा होने की अटकलें लगाई जा रही हैं। कल देवशयनी एकादशी है इसके बाद शुभ काम 5 महीने के लिए अटक जाएंगे। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि कोई रास्ता निकला तो कल मंत्रिमंडल विस्तार किया जा सकता है। शिवराज के साथ दिल्ली से प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा और संगठन महामंत्री सुहास भगत भी लौट आए।
प्रधानमंत्री समेत दिग्गज नेताओं से सीएम की मुलाकात
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत दो दिन में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। वे गृह मंत्री अमित शाह से दो बार मिले।
सोमवार को बदला घटनाक्रम
भोपाल से अचानक स्वास्थ्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा को अचानक दिल्ली बुलाने के साथ सोमवार को अचानक घटनाक्रम बदल गया। मंत्रियों के नामों की लिस्ट फाइलन होने के बाद नए सिरे से कयासों का दौर तेज हो गया है। उधर, मंगलवार को सिंधिया का भोपाल दौरा रद्द होने के साथ मामला गर्मा गया है।
भाजपा सरकार के 100 दिन
राज्य में मार्च महीने में बड़ा सियासी उलटफेर हुआ। वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा में आए। उनके समर्थन में 22 विधायकों ने भी विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ को 20 मार्च को पद से इस्तीफा देना पड़ा। 23 मार्च को शिवराज ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।