बुंदेलखंड, चंबल और विंध्य का समीकरण भाजपा पर भारी
भोपाल। मध्यप्रदेश भाजपा की चौतरफा मुसीबत पार्टी के लिए मुश्किल खड़ी कर रही है। मामला चाहे कैबिनेट विस्तार का हो या उपचुनाव का, दोनों ही मोर्चो पर भाजपा को संकट का सामना करना पड़ रहा है। इसका कारण जातिगत समीकरण बिगड़ना और कांग्रेस से आए जाति दूसरे नेताओं को अधिक तवज्जो मिलना।
चंबल-ग्वालियर में सिंधिया खेमे से दो जाटव मंत्री पद के दावेदार हैं। इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा जाटव के वोट हैं। इससे पहले के भाजपा नेता नाराज हो रहे हैं।
वहीं बुंदेलखंड के सागर जिले में तो जातीय समीकरण के आधार पर मंत्री पद के पांच दावेदार हैं।
यहां मंत्री बनने के लिए पुराने भाजपाई और सिंधिया समर्थकों के बीच जंग छिड़ी हुई है। राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग इसी सियासत का एक नमूना है।
विंध्य में तो भाजपा के सारे विधायक एकजुट होकर पार्टी को चुनौती दे रहे हैं। चंबल में जाटव के बीच असंतुलन प्रदेश की 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव को देखते हुए शिवराज कैबिनेट का विस्तार किया जाएगा।
विंध्य में ब्राह्मण और ठाकुर दोनों के बीच संतुलन बनाना भी भाजपा के लिए चुनौती है। वहां के सारे विधायक एकजुट होकर राजेंद्र शुक्ल का रास्ता रोकने पर अड़े हुए हैं।