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उपचुनाव: मध्यप्रदेश विधानसभा की 28 सीटों पर 3 नवंबर को मतदान, 10 को परिणाम, 16 अक्टूबर नामांकन की अंतिम तारीख

भोपाल। मध्यप्रदेश में 28 सीटों पर उपचुनाव की चुनाव आयोग ने तारीखों की घोषणा कर दी है। देशभर में होने वाले उपचुनवा के लिए चुनाव आयोग ने 56 सीटों पर कार्यक्रम तय किया है।
मध्य प्रदेश की 28 सीटों पर 3 नवंबर को मतदान होगा। 10 नवंबर को चुनाव के नतीजे आएंगे। जबकि 16 अक्टूबर को प्रत्याशियों को नामांकन करने की अंतिम तारीख होगी।
मध्यप्रदेश के उपचुनावों में भाजपा को अपनी सत्ता बचाने और कांग्रेस नेता व पूर्व सीएम कमलनाथ छह महीने पहले खोई सत्ता को वापस पाने के लिए पूरे दम के साथ मैदान में हैं। इस उपचुनाव में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की साख भी दांव पर लगी है, क्योंकि जिन 28 सीटों पर उपचुनाव हो रहा है उनमें 16 सीटें सिंधिया के प्रभाव वाले ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की है।
प्रदेश में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर उपचुनाव
मध्यप्रदेश में 28 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव होने हैं। पहली बार प्रदेश में इतने बड़े पैमाने पर उपचुनाव हो रहे हैं। कांग्रेस के 22 विधायकों द्वारा पार्टी से इस्तीफा देकर भाजपा में जाने के बाद कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार अल्पमत में आई गई थी।
कांग्रेस विधायकों के इस्तीफा देने से 22 सीटें खाली हो गई थीं। इसके बाद जुलाई में बड़ा मलहरा से कांग्रेस विधायक प्रद्युम्न सिंह लोधी और नेपानगर से कांग्रेस विधायक सुमित्रा देवी कसडेकर ने भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा जॉइन कर ली। फिर मांधाता विधायक ने भी कांग्रेस छोड़ भाजपा का झंडा पकड़ लिया। इसके अलावा, तीन विधायकों का निधन हो गया। यानी कुल 28 विधानसभा सीटें खाली हो गईं।

इनकी प्रतिष्ठा है दांव पर
ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ 22 विधायक कांग्रेस छोड़ भाजपा में गए थे। इनमें 16 सीटें उनके प्रभाव क्षेत्र ग्वालियर-चंबल की हैं। यह सिंधिया के प्रभाव वाला इलाका है। इन सीटों पर भाजपा को जिताना उनके लिए बड़ी चुनौती है। कांग्रेस ने अब तक 24 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है। भाजपा के नामों की अभी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। लेकिन 25 सीटों पर उसके प्रत्याशी लगभग तय माने जा रहे हैं। इनमें 22 वह विधायक होंगे जो सिंधिया के साथ भाजपा में आए और तीन वे जिन्हें सीएम शिवराज ने शामिल कराया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उपचुनाव में ज्यादा से ज्यादा विधायक जिताकर अपनी सत्ता और मजबूत करना चाहेंगे। वहीं, कमलनाथ इस बात के लिए जोर लगाएंगे कि उपचुनाव में कांग्रेस इतनी संख्या में विधायकों को जिता ले कि एक बार फिर सियासी उठापटक की सूरत बन जाए।

28 विधानसभा सीटों में से 27 पर था कांग्रेस का कब्जा
राज्य की जिन 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है, उनमें से 27 पर पहले कांग्रेस का कब्जा था। प्रदेश में 230 सदस्यीय राज्य विस में बहुमत के लिए 116 सीटें होना जरूरी हैं। अगर भाजपा उपचुनाव में बेहतर प्रदर्शन करती है तो उसकी सरकार और स्थिर होगी। वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस की कोशिश है कि वह 20 या उससे ज्यादा सीटें जीत ले, जिससे की एक बार फिर प्रदेश में सत्ता पलट सकती है।