जनता के बीच बाँट दिया 4 लाख क्विंटल ख़राब चावल, प्रशाशन पर उठे बड़े सवाल
भोपाल। मध्यप्रदेश में बालाघाट और मंडला जिले में पोल्ट्री ग्रेड का चावल मिलने के बाद सरकार द्वारा कराई गई जांच में 9 लाख क्विंटल चावल खराब मिला है। खराब मिले चावल में 4.60 लाख क्विंटल चावल ऐसा है जिसे मिलर्स को वापस कर अपग्रेड करवाकर वितरण योग्य बनाया जा सकता है, जबकि 4.40 लाख क्विंटल चावल जानवरों के खाने लायक है। इस चावल का क्या किया जाए, इस बारे में खाद्य नागरिक आपूर्ति निगम ने सरकार से मार्गदर्शन मांगा है। इस खराब चावल की कीमत लगभग 275 करोड़ रुपए है।
अभी भंडारण एजेसियों के यहां 28 लाख क्विंटल चावल रखा है जिसमें से 30 प्रतिशत खराब है। 18 लाख क्विंटल चावल सार्वजनिक वितरण प्रणाली में वितरण योग्य माना गया है। वहीं, 9 लाख क्विंटल चावल खराब है। इसमें 4.60 लाख क्विंटल चावल बदलने योग्य है और करीब 4.50 लाख क्विंटल डी कैटेगरी का है, जो मानवीय उपयोग के लायक नहीं है। वहीं, इस साल पिछले छह महीने में 7 लाख टन यानी 70 लाख क्विंटल चावल बंट चुका है। यह किस क्वालिटी का था इस बारे में पता नहीं लगाया जा सकता है, क्योंकि प्रदेश के प्रत्येक जिले से खराब चावल मिलने की शिकायतें प्राप्त होती रही है। इनमें समय रहते जिम्मेदार अफसरों ने कार्रवाई नहीं की।
वर्तमान स्थिति में आदिवासी अंचल के प्रमुख जिले अलीराजपुर,बड़वानी, धार, खरगौन सहित सागर, शिवपुरी, भोपाल, रायसेन, गुना और भिंड में बड़ी मात्रा में खराब चावल का स्टॉक जमा है।
खाद्य आपूर्ति निगम के एमडी अभिजीत अग्रवाल ने इस संबंध में कहा है कि करीब 44 हजार टन चावल खराब है। इस बारे में सरकार से मार्गदर्शन मांगा गया है। जो निर्देश प्राप्त होंगे आगे कार्रवाई की जाएगी।
कहां-कितना खराब चावल मिला
सबसे ज्यादा 50 हजार टन खराब चावल जबलपुर संभाग में मिला है। इसमें से 14 हजार टन चावल को बदलने के लिए मिलर्स को दिया गया है। भोपाल में 3 हजार क्विंटल चावल खराब आया है। कटनी से शिवपुरी भी खराब चावल का रैक पहुंचा जो वहां गोदामों में रखा हुआ है।